आज के दिन 6 दिसंबर को हर साल बाबा साहब अंबेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है इस दिवस के पीछे का कारण है बाबा साहब को सम्मान और श्रद्धांजलि देना परिनिर्वाण का अर्थ होता है मौत के बाद का विवरण इसके अनुसार जो व्यक्ति निवरण करता है वह सांसारिक मोह माया और जीवन की पीड़ा से मुक्त रहता है यह एक बौद्धिक सिद्धांत है बाबा साहब अंबेडकर हमारे भारतीय इतिहास के एक महान व्यक्ति रहे हैं उन्होंने गरीब और दलित वर्गों की स्थिति सुधारने के लिए काफी महत्वपूर्ण काम किए हैं साथ ही उन्होंने समाज से छुआछूत जैसी प्रथाओं को हटाने के लिए भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है साथ ही आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉक्टर अंबेडकर ने भी कई सालों तक बहुत धर्म का अध्ययन किया था और उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 को बहुत धर्म अपना लिया था उनका अंतिम संस्कार भी बौद्ध धर्म के नियमों के अनुसार ही किया गया था जहां पर उनका अंतिम संस्कार हुआ था उसे अब चैत्यभूमी के नाम से जाना जाता है बाबा भीमराव अंबेडकर हमारे संविधान के निर्माता रहे हैं हर साल उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर उनको श्रद्धांजलि देने के लिए भूमि में काफी सारे लोग इकट्ठा होते हैं लोग वहां पर पवित्र गीत गाते हैं और बाबा साहब के नाम के नारे लगाते हैं उन्होंने हमारे भारत को बेहतर बनाने के लिए और साथ ही पिछड़े वर्गों को उनके अधिकार दिलाने के लिए जो भी महत्वपूर्ण काम किए हैं उन्हें भी इस दिन को याद किया जाता है और उनके प्रति अपना सम्मान देने के लिए लोग चैत्यभूमी में इकट्ठा भी होते हैं इसके साथ ही हमें उनके जीवन से प्रेरणा भी लेनी चाहिए और उनके जीवन के सिद्धांतों को अपने जीवन पर भी उतारना चाहिए